भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कारा खेत मऽ समदन खऽ पटको / पँवारी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:13, 20 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=पँवारी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कारा खेत मऽ समदन खऽ पटको, लश्कर केत्ताक दूर।
ते रहियो साजन मन्दो बारो रे
हरी-हरी चोच को हरो-हरो मुरगा
पानी पेनऽ (पिवन) खऽ नद्दी नरबदा।।