बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
कारे सबरे होत बिकारे,
जितने ई रंग बारे।
कारे नाँग सफाँ देखत के,
काटत प्रान निकारे।
कारे भमर रहत कमलन पै,
ले पराग गुंजारें।
कारे दगावाज हैं सजनी,
ई रंग से हम हारे।
ईसुर कारे खकल खात हैं,
जिहरन जात उतारे।