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जीके जब जैसे दिन आये / ईसुरी
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
जीके जब जैसे दिन आये।
कैसें जात बराये।
दिनन फेर के फेर सें।
स्यार सिंग खाँ धाये।
दिनन फेर से राय मुनईयाँ।
बाजै झपट दिखायें।
दिनन फेर सें सरपन ऊपर।
मिदरन मूँड़ उठाये।
बेर बेर जे खात ईसुरी,
बेर बीन तिन खाये।