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धन धन हो सूर्या गाय / मालवी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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धन धन हो सूर्या गाय
सींगड़ली सौभाग भरी
तूने दियो है घड़ो भर दूद
बछवो आनन्द करे
धन-धन हो फलाणी बऊ तमारी कूख
कखड़ीली सौभाग भरी
तमने जाया है फलाणा राय सरखा पूत
तो मनड़ा री आस पूरी करी
राणी बैठी है तखत विछाय
बऊ-बेटी पास खड़ी
बऊ-बेटी को लपे लिलार
मोतीड़ा से मांग भरी