भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्फुट प्रसंग / श्रृंगारहार / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:19, 20 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेन्द्र झा ‘सुमन’ |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रवासोन्मुख नायक - मीन युगल पुनि कलश दुइ भरल पुरल अवलोकि
शुभ शकुनहु देलक तदपि पथिक क जतरा रोकि।।1।।

शब्दचित्र - पान अधर नहि, स्याह पड़ बिरहिनि मन बदरंग
चौखुट चहकय चड़इ, मधु पत्ती - पत्ती रंग।।2।।

दूती - विरहक अगम प्रवाह अछि, प्रिया बसय ओहि पार
दूती तरणी बल तरुण चाहय उतरय पार।।3।।