भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सूर्योदय / मोती बी.ए.

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:13, 20 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोती बी.ए. |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मोती होखो भा धोती
करिया जो लागि गइल
त सूर्योदय हो जाई।
काहें कि
उजरे पर करिया भभकेला
अन्हरिए पर अँजोरिया चमकेला
चारो ओर हल्ला हो जाई
सब कहे लागी
कि मोती पर करिखा लागि गईल
मोती पर करिखा लागि गइल
मोती भा धोती के
ई बाति बाउर ना लागी
बाकी मोती बी.ए. के बहुत दुख होई
आ सूर्योदय होते ऊ
जियते मरि जइहें।
11.08.92