भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम मारबि नजरिया के बान / मोती बी.ए.

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:55, 20 मई 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हम मारबि नजरिया के बान
हमार केहू का करी
मन पंछी भरेला उड़ान
हमार केहू का करी।

कुसुमी चुनरिया सबुज रंग चोलिया
अँखिया कजरवा लिलरवा टिकुलिया
चली अँखिया के तीरकमान
हमार केहू का करी।
हम मारबि...

बढ़ेले उखिया मकइया रहरिया
अस्थिर ना रहेले चंचल नजरिया
हम खेतवे में, गाड़बि मचान
हमार केहू का करी।
हम मारबि...

पनिया ऊपर उतराइल गगरिया
झोरे पवन झकझोरे लहरिया
हम नदिया में पँवरबि ऊतान
हमार केहू का करी।
हम मारबि...