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साँवन के सहनइया भदोइया के किच-किच ए / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

साँवन के सहनइया <ref>शहनाई। सावन की रिमझिम, दादुर, मोर, पपीहे, झींगुर आदि की सम्मिलित ध्वनि के लिए शहनाई शब्द का प्रयोग किया गया है। कहीं-कहीं ‘सहनाइया’ की जगह पर ‘समनइया’ भी आया है। भी.आ. गी. में ‘सवनइया’ पाठ है। ‘सवनइया’ या ‘समनइया’ का तात्पर्य है-‘सावनी समाँ</ref> भदोइया <ref>भाद्र मास</ref> के किच-किच <ref>कीच-काच</ref> ए।
सुगा-सुगइया <ref>शुक-शुकी</ref> के पेट, <ref>गर्भ</ref> बेदन <ref>वेदना</ref> कोई न जानये हे।
सुगा-सुगइया के पेट, कोइली दुख जानये हे।।1।।
अँगना बहारइत चेरिया, त सुनहऽ बचन मोरा हे।
चेरिया, मोरा परभु बइठल बँगलवा, <ref>बँगला में</ref> से जाइके बोलाइ देहु हे।।2।।
जुगवा <ref>जुआ</ref> खेलइते <ref>खेलते हुए</ref> तोंहों बबुआ, त सुनहऽ बचन मोरा हे।
बबुआ, रउरे धनि दरदे बेयाकुल, रउरा के बोलाहट <ref>बुलावा</ref> हे।।3।।
पसवा त गिरलइ <ref>गिर गया</ref> बेल तर, <ref>बिल्व वृक्ष के नीचे</ref> अउरो <ref>और</ref> बबूर तर हे।
ललना, धाइ <ref>दौड़कर</ref> पइसल गजओबर, <ref>चुहान, प्रसूति गृह</ref> कहऽ धनि कूसल हे।।4।।
डाँड़ मोरा फाट हे कसइली जाके, ओटिया <ref>उदर के नीचे का पेडू वाला भाग</ref> चिल्हकि <ref>सूल की तरह रह-रहकर दर्द करना</ref> मारे हे।
परभुजी, बारह बरिसे मइया रूसल, सेहो बउँसी लाबह <ref>मना लाओ</ref> हे।।5।।
मचिया बइठल तोहें मइया, त सुनहऽ बचन मोरा हे।
मइया, तोर पुतहू <ref>पताहू, वधू</ref> दरद बेयाकुल, तोरा के बोलाहट हे।।6।।
तुहूँ त हऽ मोर बबुआ, त रउरो बंसराखन <ref>वंशरक्षक</ref> हे।
बबुआ, तोर धनि बचन कुठार, बोलिया करेजे साले हे।।7।।
सउरिया <ref>प्रसूति गृह</ref> बइठल तोहें धनिया त सुनहऽ बचन मोरा हे।
धनि, बारह बरिस मइया रूसल, कहल नहिं मानये हे।।8।।
लेहु परभु नाक के बेसरिया <ref>नकबेसर, नाक का एक आभूषण</ref> त मइया के समद <ref>समदना, मनना</ref> दहु हे।
परभुजी, बारहे बरिस चाची रूसल, उनखे <ref>उनको</ref> समद दहु हे।।9।।
मचिया बइठल तोहे चाची, त सुनहऽ बचन मोरा हे।
चाची, तोर पुतहू दरद बेयाकुल, तोरा के बोलाहट हे।।10।।
सामन <ref>श्रावण</ref> के समनइया <ref>सावनी समाँ</ref> तो, भादो के किच-किच हे।
बबुआ, वह हकइ <ref>बह रही है</ref> पुरबा से पछेया, जड़इया <ref>जाड़ा</ref> मोरा लागये हे।।11।।
घड़ी रात गेलइ पहर रात होरिला जलम लेल हे।
ललना, बज लगल अनन्द बधावा, महल उठे सोहर हे।।12।।
अँगना बहारइत चेरिया त सुनहऽ बचन मोरा हे।
चेरिया, झट दए बाँटऽन <ref>बाँटो न</ref> सोंठउरा <ref>एक प्रकार का लड्डू, जो सोंठ, चावल के आटे आदि से बनता है, जो प्रसूति को खाने के लिए दिया जाता है तथा पड़ोसियों में बाँटा जाता है</ref> से होरिला जलम लेल हे।।13।।

शब्दार्थ
<references/>