Last modified on 11 जून 2015, at 22:28

आबहुँ बूढ़ी रूढ़ी छठी-पूजन / मगही

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:28, 11 जून 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मगही |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatSohar}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आबहुँ बूढ़ी रूढ़ी<ref>बड़ी बूढ़ियाँ</ref> वयठहुँ आय।
बबुआ के घोँटी<ref>घुट्टी</ref> देहु बतलाय॥1॥
बचा<ref>वचा नामक औषध</ref> महाउर<ref>महावरी, कुलंजन</ref> आउर<ref>और</ref> जायफर<ref>जायफल, जाफर</ref>।
सोने के सितुहा<ref>बड़ी जाति की सीपी</ref> रूपे<ref>चाँदी</ref> के काम।
जसोमती घोँटी देल चुचकार॥2॥

शब्दार्थ
<references/>