भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गीत - 2 / मुकुटधर पांडेय

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:53, 16 जून 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकुटधर पांडेय |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वर्ष शेष, हे वर्ष शेष
आ सुना मुझे प्रभु का निदेश

नव वर्षोत्सव-रत लोक सर्व
स्वागत तब हो मम हृदय गर्व

ये खिले फूल वन में अपार
कुर वक, ‘किंशुक औ’ कचनार

करता हूँ चरणों में सारा
अर्पित यह पुष्पांजलि विशेष

वर्ष शेष, हे वर्ष शेष।

-सन् 1918