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मेरे ख्वाब / असंगघोष

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मैं
ख्वाब देखते
समय भी
अपने पाँव
जमीन पर
रखना चाहता हूँ
कहीं यह
उड़ते हुए
छू गए
बिजली के तारों से
तो
ना चाहते हुए भी
उलझ ही जाएँगे
ख्वाबों में...।