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तेज कहाँ छै दानी मेॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'

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तेज कहाँ छै दानी मेॅ
खाली फोंकी घानी मेॅ।

आगिन तेॅ ऊ आगिन जे
आग लगावै पानी मेॅ।

कीमत जों घटलै तेॅ की
लोहोॅ भरलोॅ चानी मेॅ।

राकस के पेटोॅ मेॅ राजा
कैठां झूठ कहानी में?

अंगदेश के प्राण बसै छै
चम्पा आर उजानी मेॅ।

गिद्ध कहीं पर मुस्कै-हाँसै
नाग फरै छे खानी मेॅ।