भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्वप्निल शत प्रतिशत होते हैं / शिव ओम अम्बर

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:46, 13 अप्रैल 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिव ओम अम्बर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

स्वप्निल शत प्रतिशत होते हैं,
कवि खुशबू के ख़त होते हैं।

उनसे भी होती है अर्चा,
अक्षर भी अक्षत होते हैं।

सुख के सौ-सौ युग क्षणभंगुर,
दुख के पल शाश्वत होते हैं।

विद्वज्जन उद्धत होते हों,
विद्यावन्त विनत होते हैं।

बनते उत्स महाकाव्यों के,
आँसू सारस्वत होते हैं।