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सब छै पहिलके ना, घरोॅ में अमानती ना / अनिल शंकर झा

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सब छै पहिलके ना, घरोॅ में अमानती ना
एक बेटी बिना सूनेॅ, घरवा ओसार द्वार।
हास आ विलास कुच्छू कनियो नै लागै कही
बेटी त्यागी जेना होलोॅ जिनगी के तार-तार।
हमरा थानोॅ के देवी हुनकोॅ दुआर गेलै
जगमग जोत जलै, बिहसै धरम-सार।
हमरोॅ चमन छोड़ी हुनकोॅ बागोॅ में पाखी
माली छाती सॉग मारी, देलकै असिर धार॥