Last modified on 24 मई 2016, at 22:40

सब हम्मीं / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:40, 24 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिरुद्ध प्रसाद विमल |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हे पिया!
हमरे आँखी के बरसबॅ देखी केॅ
सावन नें बरसना छोड़ी देलेॅ छै
यहेॅ कारण छेकै
कि नै बरस छै आबेॅ
ई सौनॅ के मेघ।

सुखले रहले ई सौंसे सॉन
आरो ई जे कखनु-कखनु
चान्द झॅपाय जाय छै मेघॅ सें
जानै छॅ पिया!
ई हमरे आँखी के बहलॅ काजर छेकै
आरो हमरे बिखरलॅ केश।
जों मेघ रहतियै तेॅ
बरसतियै नै?