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पिया आगिन छै धूप / ऋतुरंग / अमरेन्द्र
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पिया आगिन छै धूप।
ताम्बा सन होय गेलोॅ सोना के रूप
पिया आगिन छै धूप।
खस केरोॅ बेनिया लै बेनिया डुलाबोॅ
चन्दन के निकची सें छप्पर छरावोॅ
बाँसोॅ के ठाठ-काठ लाघै बेरूप
पिया आगिन छै धूप।
कहियो नै तोरासें कुछबो माँगलियौं
लानोॅ आय चन्द्रमणि भिक्खे में बोलियौं
खनवावोॅ ऐंगन्हैं में पोखर आ कूप
पिया आगिन छै धूप।
रेशम रोॅ झालर चँदोवा चँदनियाँ के
हमरे नै इच्छा छौं, छेकौं बहिनियाँ के
टाँगोॅ कि लागै ई धूपो अनूप
पिया आगिन छै धूप।
30.4.2000