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की मालूम के लुतरी हरदम लारी जाय छै / दिनेश बाबा

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की मालूम के लुतरी हरदम लारी जाय छै
कुछ कहला पर बातो यही ना टारी जाय छै

केतनो बक-बक करोॅ खिलाफ में तोंय लेकिन
पता नैं ओकरा देखथैं मति के मारी जाय छै

निर्धनता द्रौपदी रङ बेबस छै सचमुच
कोय न कोय दुःशासन लाज उघारी जाय छै

केना अहिल्या सतवंती बनी रहै ले पारेॅ
पापी कोय पुरन्दर नाखी निहारी जाय छै

खुशी के दिन भी कहाँ नशीब सुकरतियो रङ
देव पितर भी सुख के दिया नैं बारी जाय छै

मनसूबा जत्तेॅ भी बान्होॅ घरकुण्डा रङ
दुष्ट नाखी आबी कोय खेल मिंघारी जाय छै

लगै छै ‘बाबा’ के किस्मत भी छेकै भुताहा
नैं मिललै कोय सिद्ध जे भूत उतारी जाय छै।