भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नाची रे नाचौ ना / श्रीस्नेही

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:30, 7 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीस्नेही |अनुवादक= |संग्रह=गीत...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खेत सोना उगैवै झूमी रे झूमी ना!
धान गरमा लगैवै नाची रे नाची ना!!
आई.आर. रत्ना ओ टैचुन नगीना!
जाया पै जगमग भारत के सपना!!
झूमी रे झूमी ना...
हाथे-हाथ काम लेबै खेतेेॅ-खेत पानी!
रसिया तनिकेॅ रोपैतै जा पानी!!
गाबी रे गाबी ना...
गाँव के गरीबी मेहनत के चोरी!
कसिलेॅ कमर हे हो खेत के पुजारी!!
जूमी रे जूमी ना...