भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खायलेॅ-खायलेॅ महादेव / श्रीस्नेही

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:31, 7 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीस्नेही |अनुवादक= |संग्रह=गीत...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खायलेॅ-खायलेॅ महादेव चलऽ अलुआ के खेत,
सुरुज उगी गेलै भेलै बिहान,
हो बाबू, हम्में सब गरीब किसान!
धरलऽ छौं नादी में चोकर खल्ली दलिया!
दाना ओ कुट्टी-पानी माँड़ मखनियाँ!!
तोर्है पेॅ दुनिया के जान,
हो बाबू, हम्में सब गरीब किसान!
तोर्है पेॅ हमरऽ बाल वो बुतरुआ!!
तोर्है पेॅ ढोल-ढाक तोर्है पेॅ फगुआ!!
शान हमरऽ तोर्हे बथान,
हो बाबू, हम्में सब गरीब किसान!
घऽर ऐथैं सिंधी तेल देथौं गिरथैनियाँ!
शाकल-पनमाँ सें सजथौं बदनियाँ!!
कठा-माला देथौं भगवान,
हो बाबू, हम्में सब गरीब किसान!