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ललकी पटोर / रामदेव भावुक

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लाली-लाली फुलवा सिमरवा के फूलल
लागै जैसन सुगना के ठोर हो
ललकी किरिनियाँ मे लागै दुल्हिनियाँ के
सूखै छै ललकी पटोर हो

कमल गुलाब ओढुलबा सें कहलौं
बेली चमेली के फुलवा सें कहलौं
नाचै लेॅ राजा मयुरबा सें कहलौं
रितुपति घर आयल मोर हो

झड़ल फूल तीसी, सरसो गदरायल
गेहूँ के बाली मे लाली छुपायल
घायल के गति जानै न घायल
दिल भेलै मटर के कठोर हो

जै पर गुस्सा जौ चुपके उतारै
झूमै गेहूं, बूँट छुपि केॅ पुकारै
धनियां न आपन सुरतिया उघारै
पछिया करै बड़जोर हो

पूछै अमुआ फूल केना फुलायब
बोल कोइलिया पी केना बुलायब
पी परदेशी जी केना दुखायब
निरमोही भयल चितचोर हो

केना कए बिसरब मोहनी मुरतिया
रहि रहि जरबय चाँदनी रतिया
कल ने पड़ै भेल व्याकुल मतिया
मदना करै अतिजोर हो

रितुपति आयल, शीतल भेल छाती
पपिहा के जेना मिलल जल स्वाती
मनमा फुलल जेना नदी बरसाती
प्रेम के उठल हिलकोर हो