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धरम के चर्चा / रामदेव भावुक

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अब छोड़ि दए धरम के चरचा, मजहब के किछु बात नै बोल’

स्वर्ग नरक कए के देखलक, मिललैॅ कहीं भगवान तॅ बोल’
अब कथा कहब नै सत्तनराएन के
जरि गेल जी पतरा नै बांच’

पंडित जी तोरा रिन सए कहियो भेलै उरीन जजमान तॅ बोल’
मजमून गलत नै पढ’़ लिलार के
गलत नै देखॅ हाथ के रेखा

मेहनत के बिना दुनिया मे रोटी, पैलकै कोय इन्सान तॅ बोल’
खुदा मसजिद में छै, भगवान मंदिर मे
कोय कहै छॅ तॅ ई गलत कहै छ’

पादरी-पण्डित-मुल्ला कहियो, गैलकै विप्लव-गान तॅ बोल’
सिर आपन नै पत्थर पर फोड़ि कए
फोडॅ दुश्मन के सिर पत्थर सए

बिना शीश चढैने केकरो, देलकै कोय वरदान तॅ बोल’
अब गेलै जमाना आंखि मुनै के
मुँह झांपै के, सुनि लेॅ कान खोलि कए

संघर्ष के बिना दुनिया मे केकरो कैलकै कोय पहचान तॅ बोल’
अब करओ नै समझौता शोषक सए
मांग भीख नै हाथ पसार

रोकै केकरो हवा रुकल छै, छुपलै लाल विहान तॅ बोल’
मजहब धरम, ई जाति पाति त’
भावुक छिकै जड़ि झगड़ा के

ई व्यवस्था, हित हिन्दू के, कैलकै मुसलिम के कल्याण तॅ बोल’