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बोल सुनी केॅ उठलै बौव्वा / दिनेश बाबा

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बोल सुनी केॅ उठलै बौव्वा
एँगना में बोलै छै कौव्वा
कोय संवाद कहीं से ऐलै
खाड़ोॅ छै डौढ़ी पर लौव्वा
ताऊ भुंजा चिभलाबै छै
खैतै की गायब छै चौव्वा
करना छै पंचैती काहीं
ऐलोॅ छै हुनकरे बुलौव्वा
थोथा सरपट बिना दाँत के
बोलियो छै एकदम लपटौव्वा
छोट बात भी मत्थी-मत्थी
लोग बनाय देथौं छै हौव्वा
ककरहौ तेॅ गिरना ही छेलै
खटिया में तीने छै पौव्वा
छौड़ा की, जुल्फी ाड़ै छै
तेल लगाबै छै गमकौव्वा
काका भोर अन्हारे गेल छै
हुनका कटवाना छै झौव्वा
‘बाबा’ जाय छथिन खेतोॅ पर
बान्ही केॅ दै दहु कलौव्वा