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लोग सारे भले नहीं होते / चित्रांश खरे
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लोग सारे भले नहीं होते
हां मगर सब बुरे नहीं होते
मुद्दतों देखभाल है लाज़िम
पेड़ यूं ही खड़े नहीं होते
वो पतंगों का प्यार क्या जाने
जिनके घर में दिये नहीं होते
इश्क छुपकर कोई भले करले
राज़ उनके छुपे नहीं होते
ख्वाब उनको हसीन लगता है
नींद से जो जगे नहीं होते
फुल समझा न होता शोलों को
हाथ मेरे जले नहीं होते
प्यार छूता नहीं अगर दिल को
शेर हमनें कहे नहीं होते