भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ऐसन निंदिया में अगिया लागी जाय / भवप्रीतानन्द ओझा
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:12, 22 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवप्रीतानन्द ओझा |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
झूमर (भादुरिया)
ऐसन निंदिया में अगिया लागी जाय
हे अगिया लागी जाय
कौन मोर कन्हैया लाल लैगेली चोराय
एत्ते रे जानेतौ नीलमणि चोरी जाय
नीणमणि
गाँथी मोती के हारे गरें देतो लटकाय
जागी रे सगरो निशी राखतों जगाय
सखी! राखेतों...
भोर भोरें भौवरा देतो कमले लगाय
प्रातें मदन जाला सहलो ने जाय
भवप्रीता कहथी राधा गेली घबराय।