भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भाँगें आँखि ढुलू-ढुलू, भाँगें आँखि ढुलू-ढुलू / भवप्रीतानन्द ओझा

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:16, 22 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवप्रीतानन्द ओझा |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

झूमर (शिव स्वरूप वर्णन)

भाँगें आँखि ढुलू-ढुलू, भाँगें आँखि ढुलू-ढुलू
भाँगें आँखि ढुलू-ढुलू
जटाँ बीचें गंगा कुलू-कुलू
भाँगें आँखि ढुलू-ढुलू।
ईश्वर शिव सुंदर, हेम गौर कलेवर,
भाँगें आँखि ढुलू-ढुलू।
देहा पेॅ सँपा छुलू-मुलू
भाँगें आँखि ढुलू-ढुलू।
कपारें किशोर चाँद, दाँड़ाँ बाघ-छाल बाँध,
भाँगें आँखि ढुलू-ढुलू।
कान में धथू झुलू-झुलू
भाँगें आँखि ढुलू-ढुलू।
रमत वृषभ पेॅ, कारे गौरी गणेशर
भाँगें आँखि ढुलू-ढुलू।
नाचे भूता हाँसे खुलू-खुलू
भाँगें आँखि ढुलू-ढुलू।
भवप्रीताक निवेदन, अन्तें दीहा श्री चरण,
(जैसें) जमें ताकी रहेॅ मुलू-मुलू
भाँगें आँखि ढुलू-ढुलू।