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जागी प्रहरी भोरें कंस ठौर गेल / भवप्रीतानन्द ओझा
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झूमर (छन्द पयार)
जागी प्रहरी भोरें कंस ठौर गेल
नन्दिनी जनम खबर तब देल
सुनैतैं कैद-घर कंस जे गेल
जातहिं कन्या उठाय के लेल
पैर धरी नभ में घुराय जे लेल
बध-शीला पेॅ, पटकी जे देल
छोड़तैं देवी उड़ि ठेकली आकाश
कहथीं कंस प्रति मुखे मृदु हास।