भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तेजी गेला यदुपतिया / भवप्रीतानन्द ओझा

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:22, 22 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवप्रीतानन्द ओझा |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

झूमर (भादुरिया)

तेजी गेला यदुपतिया
गे सजनि! सजन
तब सेंही दिन लागे यहाँ घोर रतिया
गे सजनि
केसे भूलव हम मााव पीरितिया
गे सजनी...
हियरा समाये गेले श्यामली सुरतिया
गे सजनि...
लोरा कजरा कारी कानी नखा सतिया
गे सजनि...
लिखबे अँचरा चीरी पिया प्रेम पतिया
गे सजनि...
ने सुहाबे धन जन जीवन धरतिया
गे सजनि...
भवप्रीता हृदे साजे युगल मूरतिया
गे सजनि...
भवप्रीता...।