भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चेतावनी के बावजूद / शरद कोकास
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:39, 30 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शरद कोकास |अनुवादक= |संग्रह=हमसे त...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
होता है समुद्र अशांत होने दो
उठती हों ऊँची लहरें उठने दो
बनता हो कहीं
कम दबाव का क्षेत्र
बनने दो
आ रही हो मौसम विभाग से
तूफान की चेतावनी
आने दो
जोखि़म और कलाबाज़ियाँ
गठरी में बाँधकर
चल पड़े हैं नाविक
आखिर भूख
कैसे कर सकती है
अड़तालीस घंटे इंतजार।
-1993