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मोड़ / शरद कोकास
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मोड़ बहुत हैं
जीवन की राह पर
अनदेखे अनचीन्हें मोड़
सपाट रास्तों से उपजी
ऊब तोड़ते हैं मोड़
मोड़ पर साफ दिखाई देता है
तय किया रास्ता
आने वाला दृश्य
मोड़ पर बदल जाती है
हवा की दिशा
धूप का पहलू
बारिश का कोण
कभी अचानक आते हैं मोड़
कभी मिल जाता आभास
कभी कोई दिशा संकेत
सावधान करते हैं मोड़
मोड़ पर अक्सर ठिठक जाते लोग
गति हो जाती कम
टूट जाती लय
रुकने की सम्भावना होती है मोड़ पर
टकरा जाने की भी
थक जाने की सम्भावना होती है
भटक जाने की भी
एक नये रास्ते की सम्भावना भी
यहीं से शुरू होती है।
-1994