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पसीना / शरद कोकास

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उन्माद के दौरान
हथेलियों में उपजा पसीना यह नहीं
उन बादलों का पसीना है
जो भरसक कोशिश करते हैं
हमारे खेतों में बरसने की

जान बचाने के लिये पैरों में पड़े
डरपोक का पसीना यह नहीं
उस वर्दी का पसीना है
जो हमारी आपकी रक्षा में
छलनी हो जाने के लिए
हरदम तैयार रहती है

कोड़े बरसाने वाले
आततायी की देह से उपजा
पसीना यह नहीं
उस हथौड़े का पसीना है
जिसकी एक-एक चोट
हमारे बच्चों के लिए
निवाला लेकर आती है

हुश्न को जकड़ लेने के लिये बेताब
बाँहों का पसीना यह नहीं
सर पर ढोई जा रही ईंटों का पसीना है
जो छाँव के लिए छत बनाती हैं

यह हाथ ठेले के पहियों का पसीना है
जो आपकी सुविधाएँ ढोता है
पेट भर खाने से उपजी
उर्जा का पसीना यह नहीं
मुनाफे की भागदौड़ से आया
पसीना यह नहीं

यह उस धरती का पसीना है
जिसके बनाए मेहनत और पसीने के
समीकरण को
आपने अपने हक़ में ठीक कर लिया है।