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होना मत हैरान परिंदे / शम्भुनाथ तिवारी
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होना मत हैरान परिंदे
दुनिया को पहचान परिंदे
पिंजड़े से बाहर मत आना
बात पते की मान परिंदे
कैसा ज़हर हवाओं में है
तू इससे अनजान परिंदे
बाहर आकर पछताएगा
मान भले मत मान परिंदे
तरसेगा दाने-दाने को
बेशक दुनिया छान परिंदे
खुली हवा में उड़ना शायद
रहा नहीं असान परिंदे
जाने कौन कहाँ कर जाए
तुमको लहूलुहान परिंदे
बहुत हो गए हैं दुनिया में
पत्थर के इनसान परिंदे
तू महफ़ूज़ सिर्फ़ पिंजड़े में
बाहर खतरे-जान परिंदे