भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छुट्टी / श्रीनाथ सिंह
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:06, 4 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीनाथ सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
छुट्टी छुट्टी छुट्टी
टन टन टन टन घंटा बोला
हो हो हो चिल्लाया भोला।
बंद करो, क्यों बस्ता खोला?
छुट्टी छुट्टी छुट्टी
आओ बगल दबाएँ बस्ता।
जल्दी घर का पकड़ें रस्ता
खावें चलें कचौड़ी खस्ता।
छुट्टी छुट्टी छुट्टी
पढ़ने का था समय पढ़े जब।
खेल कूद में नहीं पड़े तब।
बुरा नहीं यदि हम खेलें हम
छुट्टी छुट्टी छुट्टी