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नेक हर मेरी राह हो जाये / सिया सचदेव
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नेक हर मेरी राह हो जाये
दूर मुझसे गुनाह हो जाये
हौसले अपने साथ रख लेना
रात जब भी सियाह हो जाये
दिल में जब तक रहे तो टीस रहे
दिल से निकले तो आह हो जाये
बाँट दुःख दर्द ,क्या ख़बर तुझ पर
कब ख़ुदा की निगाह हो जाए
प्यार से ज़िंदगी बिता दे सिया
सबको जीने की चाह हो जाये