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और... समाचार सुनें / सुनो तथागत / कुमार रवींद्र
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ग्रह-तारे हैं अशांत
धरती पर चल रही लड़ाई
रत्नों का महल बना
कल दुपहर अगले नक्षत्र पर
धरती पर सिर्फ बचे
जगह-जगह रक्त-सने पूजाघर
शिव की जो आकृति थी
पर्वत पर
वह भी है खून में नहाई
अगला है समाचार
भोर-हुए सूरज के मरने का
और नई कोंपल का
कल्पवृक्ष से तडके झरने का
हाँ, ऊपर
सप्तर्षि-मंडल में
शाहों ने एक नई छावनी बनाई
आखिरी खबर यह है मौसम की
सागर सब सूख रहे
जलते हैं जंगल सब
लाखघरों की बातें कौन कहे
और बड़े राजा ने
'सब कुछ है ठीकठाक'
यही बात दुहराई