भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शरीर का हल / शब्द प्रकाश / धरनीदास
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:11, 21 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धरनीदास |अनुवादक= |संग्रह=शब्द प्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कटहरा है शीश औ हरीस पीठि पौरि साथ, पारिहत्थ हाथ ज्वाठ पेटनार चाम है।
वरन सो कान, नाक पाट, नयन सामइल, पाँव बैल, छैल, जोति मोंहन को नाम है॥
कर फार सार करुआर अंड सो प्रचंड, पायन प्रयोग हल ग्राहि मन काम है।
धरनी कही है निरुआरि सो विचारिदेखो, नारि है कियारी गिरहस्त एक राम है॥25॥