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प्यारे का पंथ / शब्द प्रकाश / धरनीदास
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छोड़े सुत नारी तात भ्रात गोत नात, झूठ न सोहात बात कै विवेक बोलहीँ।
काम गये वोध भये शील वो संतोष लये, कर्म वीज भूँजि वोये कायमें कलोलहीं॥
धरनी हिये सोहात सांईके सुरंग रात, रावरंक ते निशंक तौलि तौलि मोलही।
काहुते न वैरना न काहुते सनेहता हि, प्यारे के पियार से नियारे पंथ डोलहीँ॥27॥