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अंग दर्पण / भाग 16 / रसलीन
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पद अंगुरी-वर्णन
रद कीनों तुव जुगल पद सब मद जीवन मूरि।
दसम दसा दस दिसन की करि इस अंगुरिन दूरि॥165॥
पदनख-वर्णन
दुति वा उदित नखन की भनै कवन कवि ईस।
पाय परत छिति जाहि के भयो चंद पायसीस॥166॥
जावक-वर्णन
मन भावक जावक सखिन सौतिन पावक ज्वाल।
सीस नवावक लाल को तुव पद जावक बाल॥167॥
चूरा-वर्णन
गुँजरी चूरा कनक तुव ऐसी बनी सुहाय।
मनु ससि रवि निज रंग कर ल्याए पूजन पाय॥168॥
नूपुर-वर्णन
अम्बुज पद भूपर धरत नूपुर नहिं बांजत।
साधुन के मन भौर ह्वै बाँचत रच्छा जंत॥169॥
पायल-वर्णन
पायन पायल के परत झुनकायल सुनि कान।
माथल करि घायल करत मुरछायल ज्यों तान॥170॥
अनवट-वर्णन
सुबरन अनवट चरन को बरन करत यह मूल।
नवल कमल पर विमल मनु सोहत गेंदाफूल॥171॥