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स्तुति शाह यासीन बिलग्रामी / रसलीन

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माला हाथ धर गुन गन जपै सदा मन,
लागी है लगन तुव सुमिरन लीन है।
देव और अदेव दब जात सुनैं नाम जब,
धरन सरन सब नरन को दीन है।
अष्ट सिद्धि नव निधि पावत हैं बाल बृद्ध,
पूरन प्रसिद्ध बुद्धि बेद बिधि कीन है।
देखत प्रबीन जाके होत हरि रसलीन,
सूरत यासीन मानो सूरत यासीन है॥21॥