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झगड़ा परो भरम को भारी / संत जूड़ीराम

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झगड़ा परो भरम को भारी।
उरज रहो जंजाल जाल में अति मन भयो दुखारी।
दीन बंद हर अधम उधारन सुनियो टेर मुरारी।
साद गऊ दुज दीन दुखत हैं सबकी विपत निवारी।
भयो सरन समूह तुमारे हेरो पलक निहारी।
दीन बंद दीनन प्रति पालन नाम कल्पतरु भारी।
आनंद भवन स्यामधन सूरत कृपा सिद्ध बलधारी।
जूड़ीराम दीन की विनती सुनिये बृम विहारी।