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नाम बिना तन जात बहोरे / संत जूड़ीराम
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नाम बिना तन जात बहोरे।
पावत पार नहीं सागर को कर्म कुलाहल भार भरोरे।
कुमत खटेर भोर माया की फिर-फिर गोटा खात फिरोरे।
शब्द जिहाज साज भौसागर सतगुरु केवट पार करोरे।
जूड़ीराम विचार पुकारे नाम बिना नहिं पार लगो रे।