भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
से बोमछल पलटन हौ दादा / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:22, 2 अगस्त 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=सलहे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
से बोमछल पलटन हौ दादा
भागल जखनी जाइ छै
बोमछल पलटन जखनी
भागल हौ दादा जाइ छै ने हौ।
पीठिया ठोक पलटन जखनी
चल जाइ छै
पीठिया ठोक पलटन जखनी चल जाइ छै ने हौ।