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मुंहिंजे पाछे जो हिकु हिस्सो / मोहन दीप

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वक़्त जी गाॾीअ जे
दरवाजे़ ते
बीठलु मां ऐं मूं पुठियां
मुंहिंजे वीचारनि जे मथिते टंगियल
ट्यूब लाईट।
उन जी रोशनीअ सबब
ऐं गाॾीअ जी रफ़्तार करे
रेल जे पटनि ते
किरियल डोड़न्दड़ मुंहिंजे पाछे जो हिकु हिस्सो
मां बि पाछो
कंहिं ते को बि तासीर न छॾीन्दड़।