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मुरिक पंहिंजी छॾींदुसि न मां / हरि दिलगीर

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आहि सीनो सॼो चंड जो दाग़ दाग़,
पर तॾहिं भी न चिमिकणु छॾे हुन ॾिनो,
आहि गुल जो जिगरु भी सॼो घाउ घाउ,
पर तॾहिं भी न मुरिकणु छॾे हुन ॾिनो।

मुंहिंजी दिल भी आ घायल ऐं दाग़ियल सॼी,
पर उन्हीअ जे करे,
चिमिकंदरड़ मुरिक पंहिंजी छॾींदुसि न मां,
दाग़ ऐं घाव दिल में खणी मां सदा,
मुरिकंदुसि, महकंदुसि, चोॼ मां चहकंदुसि।