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हे नाथ! दयावानों के सिरमौर / बिन्दु जी

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हे नाथ! दयावानों के सिरमौर बता दो।
छोडूँ मैं भला आपको किस तौर बता दो।
हाँ शर्त ये करलो मैं हट जाऊँगा दर से।
अपना-सा कृपासिंधु कोई और बता दो।
गर धाम मैं सरकार के रह सकता नहीं हूँ।
तो द्वार पै पड़ने के लिए पीर बता दो।
रैदास अजामिल सदन व्याध गीध व गणिका।
रहते हों जहाँ मुझको वहीँ ठौर बता दो।
आँसूं की झड़ी पर भी दया कुछ नहीं करते।
दृग ‘बिन्दु’ का कबतक ये चले दौर बता दो।