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कैसे तमाम उम्र थकेगा सफ़र नहीं / पूजा श्रीवास्तव

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कैसे तमाम उम्र थकेगा सफ़र नहीं
मंज़िल को क्या कहेगा तेरी रहगुज़र नहीं

पागल है जां लुटा भी दे वो सिर्फ प्यार में
इसके सिवा करेगा उसे कुछ असर नहीं

वाकिफ़ रहा वो दिल के हर इक मर्ज़ से मेरे
कर सकता है इलाज करेगा मगर नहीं

संगे रकीब के उसे खुश देखकर मुझे
याद आया कह रहे थे तेरे बिन गुज़र नहीं

लगता है और दर्द की दरकार है इन्हें
अशआर हो गए हैं मगर पुरअसर नहीं

आशिक हैं आशिकी है रगों में नहीं लहू
चाहत सुनो सिखाओ हमें बेख़बर नहीं