भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कमलासन-‌आसीन देवि ‘श्री’/ हनुमानप्रसाद पोद्दार

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:19, 29 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(राग बिहाग-ताल त्रिताल)
कमलासन-‌आसीन देवि ‘श्री’ अद्‌‌भुत श्री-सुषमासे युक्त।
 पद्म-चक्र-वर-‌अभय चतुर्भुज दिव्य भूषणोंसे संयुक्त॥
 सुमन-माल गल, रत्न-मुकुट सिर, सकल विभूति विश्वकी टेक।
 चारु स्वर्ण कलशों से करिवर चार कर रहे शुभ अभिषेक॥