भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वर्ण गौर कर्पूर-सदृश / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:57, 29 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(राग गुनकली-ताल मूल)

वर्ण गौर कर्पूर-सदृश आभामय मनहर।
 अहिभूषण सब अन्ग सुसोभित कटि बाघबर॥
 अक्षमाल-डमरू-त्रिशूल-खट्‌‌वान्ग-मुण्ड कर।
 राजत भाल त्रिपुण्ड, अर्धशशि, जटाजूट वर॥
 सिंह-चर्म-‌आसन शुचि षोडशदल पंकजपर-।
 बैठे त्रिनयन, पञ्चवदन शंकर परमेश्वर॥