भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जय जय शंकर शूल-डमरुधर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:07, 29 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(राग मालकोस-ताल शूल)
जय जय शंकर शूल-डमरुधर, जटा-जूटधर याली।
जय कैञ्लास-निवासी त्रिनयन, जय रुद्राक्ष-सुमाली॥
जय गौरी जगजननि पार्वती, जयति दुरित-दुखहारी।
जय गणपति मूषकवाहन, जय विघ्रहरण सुखकारी।