Last modified on 29 अक्टूबर 2016, at 21:34

दुर्गा दुर्गा रटत ही / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:34, 29 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

(राग पीलू-ताल कहरवा)

दुर्गा दुर्गा रटत ही सब संकट कटि जाय।
 दुर्गा जननी सुत सदृश संतत करै सहाय॥