भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कालमेघ-श्यामल-तनु शोभित / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:46, 29 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(राग गोरख कल्याण-तीन ताल)

कालमेघ-श्यामल-तनु शोभित, मुद्रा वरद-‌अभय सुन्दर।
 सुधा-कलश, पाशांकुश, फणि, माला, डमरू से संयुत कर॥
 पीत वस्त्र, रत्नोज्ज्वल भूषण, स्वर्णरत्न करधनि मनहर।
 भाल त्रिपुण्ड सुशोभित, भैरव-बटुक सदा सेवक-हितकर॥